Prarthana Sabha | School Assembly | : विद्यालय प्रार्थना सभा

Prarthana Sabha in School स्कूल में प्रार्थना सभा का क्रम

(आवश्यकतानुसार परिवर्तनीय)

1. राष्ट्रगीत सामूहिक

2. मध्य प्रदेश गान सामूहिक

3. सरस्वती वंदना सामूहिक अनु गायन

4. आज का कैलेंडर / पंचांग

5. सुभाषित / अमृत वचन सामूहिक अनुकरण

6. समाचार वाचन (अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रादेशिक, क्षेत्रीय एवं खेल)

7. विशेष प्रस्तुति (देश भक्ति गीत / प्रेरणा गीत / अन्य विधा )

8. जन्मदिन अभिनंदन

9. सूचनाएं प्रधानाध्यापक / प्राचार्य द्वारा

10. योग / ध्यान

11. राष्ट्रगान सामूहिक

12. जयघोष विद्यालय समय समाप्त होने पर

 

शिक्षकों से निवेदन :-

प्रतिदिन कुछ गतिविधि स्थिर होती है किन्तु कुछ परिवर्तित होती रहती है । हम स्थायी गतिविधि के साथ प्रतिदिन परिवर्तनीय क्रमों को सुझावात्मक दे रहे हैं । आप आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकते हैं । 

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राष्ट्रगान 

जन गण मन अधिनायक जय हे

भारत भाग्य विधाता

पंजाब सिंध गुजरात मराठा

द्रविड़ उत्कल बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा

उच्छल जलधि तरंग

तव शुभ नामे जागे

तव शुभ आशिष मांगे

गाहे तव जय गाथा

 

जन गण मंगल दायक जय हे

भारत भाग्य विधाता

जय हे जय हे जय हे

जय जय जय जय हे

राष्ट्रगीत 

वन्दे मातरम् , वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्शस्य श्यामलां मातरं ।। वंदे ।।

शुभ्र ज्योत्स्नां पुलकित यामिनीमफुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्,  सुखदां वरदां मातरम् .. वन्दे मातरम् …

सप्त कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले

निसप्त कोटि भुजैध्रुत खरकरवाले

के बोले मा तुमी अबले

बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्

रिपुदलवारिणीं मातरम् .. वन्दे मातरम् …

तुमि विद्या तुमि धर्मतुमि हृदि तुमि मर्म

त्वं हि प्राणाः शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,

हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारै प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे .. वन्दे मातरम् …

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी

कमला कमलदल विहारिणी

वाणी विद्यादायिनीनमामि त्वाम्

नमामि कमलां अमलां अतुलाम्

सुजलां सुफलां मातरम् .. वन्दे मातरम् …

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्

धरणीं भरणीं मातरम् .. वन्दे मातरम् …

 

मध्यप्रदेश गान 

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।


विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,
यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,
स्वरसौरभसुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।


चंबल की कलल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,
खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,
अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,
महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,
कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विषेश है,
ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

सरस्वती वंदना

या कुंदेंदु तुषारहार धवलाया शुभ्र वस्त्रावृता |

या वीणावर दण्डमंडितकराया श्वेतपद्मासना ||

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां|

हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां||

सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।

वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्यः एव च।।

सरस्वती महाभागे विद्ये कमाल लोचने।

विद्यारूपी विशालाक्षी विद्याम देहि नमोस्तुते।।

हे शारदे माँ 

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे, हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे ॥
हम है अकेले, हम है अधूरे, तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ ॥1 ।।
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी , वेदों की भाषा, पुराणों की बानी ॥
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने, विद्या का हमको, अधिकार दे माँ ॥2।।
तू श्वेतवर्णी, कमल पे विराजे, हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे ॥
मन से हमारे मिटाके अँधेरे, हमको उजालों का संसार दे माँ ॥3।।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी 

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी             अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत,           वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी             अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत,           वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥


साहस शील हृदय में भर दे,         जीवन त्याग-तपोम कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,         स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी             अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत,           वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥


लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम      मानवता का त्रास हरें हम,                
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,                फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी             अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

भारत की राष्‍ट्रीय पहचान के प्रतीक

इस खण्‍ड में हम आपको भारत की राष्‍ट्रीय पहचान के प्रतीकों से परिचय कराएंगे ।  यह प्रतीक भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्‍सा हैं।

विश्‍व भर में बसे विविध पृष्‍ठभूमियों के भारतीय इन राष्‍ट्रीय प्रतीकों पर गर्व करते हैं क्‍योंकि वे प्रत्‍येक भारतीय के हृदय में गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं।

Natinal Flag
National Anthem
National Song
National Bird
National Animal
National Emblem
National Calendar
National Currency

राष्‍ट्रीय ध्‍वज

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है।

भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।

भारतीय झंडा संहिता, 2002 हिन्दी में 

भारतीय मोर, पावों क्रिस्‍तातुस, भारत का राष्‍ट्रीय पक्षी एक रंगीन, हंस के आकार का पक्षी पंखे आकृति की पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन। इस प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अति मनमोहक कांस्‍य हरा 200 लम्‍बे पंखों का गुच्‍छा होता है। मादा भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है। नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्‍य होता है।

राजकीय प्रतीक

भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र‘ रखा हुआ है।

भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी, 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते‘ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’।

राष्‍ट्रीय पंचांग

राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है, चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च, 1957 से सामान्‍यत: 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया:

  1. भारत का राजपत्र,
  2. आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण,
  3. भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और
  4. जनता को संबोधित सरकारी सूचनाएं

राष्‍ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है। सामान्‍यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।

राष्‍ट्रीय पशु

राजसी बाघ, तेंदुआ टाइग्रिस धारीदार जानवर है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं। लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37, 761 वर्ग कि.मी. क्षेत्र शामिल है।

राष्‍ट्रीय गीत

वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है।

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

राष्‍ट्रीय गीत का समय लगभग 1 मिनट 9 सेकंड है।

मुद्रा चिन्ह

भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के अक्षर ‘आर’ को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।

यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

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