Chapter 3 :Effective House Formation & Prarthana Sabhaa : CCLE सतत एवं व्यापक अधिगम तथा मूल्यांकन

House Formation & Prarthana sabha ccle का सबसे महत्वपूर्ण भाग है । NCF 2005 में सामूहिक शिक्षा की कल्पना की गई है, सामूहिक शिक्षण विधि से विद्यार्थियों को लक्ष्य की प्राप्ति में बहुत आसानी होती है और यह बहुत असरकारक होता है । CCLE के तहत इस अवधारणा को बाल सभा में अपनाया जाता है . बालसभा की गतिविधियों का संचालन शिक्षक द्वारा किया जाता है । प्रत्येक शाला में प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को 4 सदनों हाउसों में बांटा जाता है , प्रत्येक सदनों मे सभी कक्षाओं से लेकर समान संख्या से सदनों का निर्माण किया जाता है । सदनों का निर्माण (House Formation) रोचक गतिविधि के माध्यम से किया जाता है ।

उदाहरण के लिए : कक्षा 9 वी मे छात्र संख्या 60 है ,

S.No.HouseNo of Students
1विवेकानंद/अहिल्याबाई सदन15
2सुभाषचंद्र बॉस / दुर्गावती सदन15
3महाराणा प्रताप/मीराबाई सदन15
4छत्रपती शिवाजी/ महारानी लक्ष्मीबाई सदन15
House Formation

इसी प्रकाह जितनी कक्षाएं हैं उन सभी को उक्त चार सदनों में बराबर बराबर बाँट कर सदन निर्माण किया जाएगा । ccle के तहत की जाने वाली गतिविधियां प्रत्येक सदन में अलग अलग कक्षावार और वर्गवार की जाएंगी ।

सदन निर्माण (House Formation )कर गतिविधियां करवाने के उद्देश्य :

  1. सदन निर्माण (House Formation) के द्वारा टीम भावना एवं नेत्रत्व क्षमता का विकास होता है ।
  2. आपसी सहयोग और सहभागिता से सभी छात्रों की उत्कृष्ट गुणों की पहचान होती है जबकि परंपरागत परीक्षा पद्धति से सिर्फ अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले छात्र ही सामने आ पाते हैं ।
  3. एक सदन के सभी सदस्य सामूहिक रूप से जीतने का प्रयास करते हैं इससे स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना का विकास होता है /।
  4. सदन निर्माण (House Formation) से सोचने , समस्या का हाल ढूँढने एवं विचार करने की शक्ति का विकास होता है जिससे वे जीवन में आगे आने वाली समस्याओं को समझकर हल करने में सक्षम होंगे ।
  5. प्रत्येक माह अलग अलग थीम के कारण वे अलग अलग तरह से सोचने पर विवश होते है और सभी थीम जीवनोपयोगी आधार पर निर्धारीत की गई है ।
  6. विजेता सदन को रनिंग शील्ड दी जाती है , दूसरा सदन उस शील्ड को पाने का प्रयास करता है । इसी प्रकाश किसी विशेष गतिविधि जैसे आशुभाषण , लेखन , चित्रकला मे उत्कृष्ट कार्य करने वाले को भी पुरस्कृत किया जाता है जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास होने का मार्ग प्रशस्त होता है ।

प्रार्थना सभा (Prarthana Sabha)

भारतीय संस्कृति मे प्रत्येक कार्य की शुरुवात प्रार्थना से होती है । इसलिए मध्यप्रदेश के स्कूलों में भी दिन की शुरुवात प्रार्थना से ही होती है । प्रतिदिन प्रार्थना सभा (Prarthana Sabha) मे कुछ अलग अलग विविधताएं होती है । प्रार्थना सभा का समय 20 मिनट होता है । प्रार्थना सभा प्रत्येक दिन अलग अलग सदनों के विधीयर्थी करते हैं । एक दिन पहले निर्धारित कक्षा के विद्यार्थी प्रार्थना सभा की तैयारी करते हैं । प्रार्थना सभा मे निम्न क्रं से गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है , इसे परिस्थिति अनुरूप बदला भी जा सकता है किन्तु इसमे संबंधित कक्षा के शिक्षक का मार्गदर्शन भी आवश्यक है ताकि सही तरीके से प्रार्थना सभा कारवाई जा सके :

  1. राष्ट्रगान
  2. सरस्वती वंदना
  3. छात्र प्रतिज्ञा
  4. आज का कैलेण्डर
  5. सुविचार
  6. समाचार वाचन
  7. जन्म दिन
  8. सूचना

छात्र प्रतिज्ञा : भारत हमारा देश है । हम सब भारतवासी भाई बहन हैं । हमें अपना देश प्राणों से भी प्यारा है । इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है । हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे । हम अपने माता पिता, गुरुजनों और शिक्षकों का आदर करेंगे और सबके साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे । हम अपने देश और देश्वसियों के प्रति वफादार रहें की प्रतिज्ञा करते हैं । उनके कल्याण और समृद्धि मे हमारा सुख निहित है ।

भारत माता की जय ।

House formation
Prarthana Sabha

राष्ट्रगीत

वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।।

सरस्वती वंदना

किसी भी प्रार्थना सभा Morning prayer का आरंभ वंदना से किया जाता है । सरस्वती की वंदना भारतीय संस्कृति की विशेष देन है।  सरस्वती के रूप में सत्यम शिवम सुंदरम की ही आराधना है।  वैज्ञानिक युग में भी वंदना के महत्व को नकारा नहीं जा सकता । छात्र क्योंकि विद्यालय में विद्या ग्रहण करने आते हैं और सरस्वती को विद्या की देवी कहा गया है । अतः कक्षा में जाने के पूर्व सरस्वती की वंदना अति आवश्यक हो जाती है।  दी गई सरस्वती वंदना में से हर मास के लिए एक वंदन का चयन कर बदल बदल कर गायन करवाया जा सकता है ।

सुभाषित / अमृत वचन

इसके अंतर्गत सूक्ति सुभाषित अमृत वचन आदर्श वाक्य तथा मंगल वचन इत्यादि को लिया जा सकता है।  विभिन्न महापुरुषों , लेखकों,  विद्वानों के द्वारा व्यक्त गहन चिंतन, अनुभव और व्यवहारिक शक्तियों से ओतप्रोत प्रेरक कथा छात्र की चेतना को जागृत कर सकारात्मक सोच को विकसित करते हैं।  सूक्तियां, अमृत वचन इत्यादि किसी वाक्य विचार को कम से कम शब्दों में व्यक्त करने का कौशल है । इनके द्वारा जीवन के सामान्य और गुण शक्तियों की अभिव्यक्ति प्रभावशाली तरीके से की जाती है।

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House & Prarthana Sabha के लिए निर्देश

बच्चों के विचार शक्ति बढ़ाने के लिए “आज का विचार” के अंतर्गत प्रतिदिन नवीन सूक्ति, सुभाषित, सुविचार, प्रेरक कथा, अमृत वचन आदि का वाचन किया जाए।
निर्धारित सत्य वचन को विद्यालय के बाहर सूचना पटल पर अथवा अलग से बने पटल पर “आज का विचार” शीर्षक के नीचे स्पष्ट एवं शहरों में लिखें ।
प्रार्थना सभा में इसे पढ़कर सुनाएं अत्यंत संक्षेप में इसका अर्थ स्पष्ट करें।
बच्चे अवकाश के समय प्रतिदिन सूक्ति, अमृत वचन, सुभाषित, प्रेरक वाक्य इत्यादि को एक अलग अभ्यास पुस्तिका या डायरी में लिख कर इसका संग्रह करें ।
सुभाषितों का गायन स्पष्ट हो तथा यह आदर्शपरक , राष्ट्रीय तथा नीति परक हो ।
सूक्ति आदि के लेखक रचयिता के नाम का उल्लेख (यदि ज्ञात हो तो) अवश्य करें ।

समाचार वाचन

प्रतिदिन समाचारों का संकलन समाचार पत्र, रेडियो या टेलीविज़न इत्यादि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रमुख समाचारों में कम से कम 2 अंतरराष्ट्रीय समाचार, दो राष्ट्रीय समाचार, दो प्रादेशिक समाचार एवं दो क्षेत्रीय समाचार अवश्य शामिल करें ।
यदि संभव हो सके तो खेलों से संबंधित भी दो समाचार अवश्य शामिल करें ।
समाचारों का वाचन करते समय ध्यान रखें कि अधिकतर समाचार सकारात्मक हो जिससे प्रेरणा एवं उत्साह प्राप्त हो ।
समाचारों का वचन करने के पूर्व उन्हें अपने संबंधित शिक्षकों को एक बार अवश्य दिखाना सुनिश्चित करें।

जन्म दिवस की शुभकामनाएं

जन्मदिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक स्मरणीय और महत्वपूर्ण दिवस होता है । महापुरुषों के जन्मदिवस उनकी जयंतीयों के रूप में समारोह पूर्वक मनाया जाते हैं । जिससे हम उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें।  जन्मदिन पर दी जाने वाली शुभकामनाएं, बच्चों को प्रसन्नता और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।

कैसे बनाएं बच्चों का जन्मदिन

विद्यालय में नामांकित सभी बच्चों के नाम उनके जन्मदिवस की तिथि दिनांक एवं मास अनुसार जन्मदिवस पणजी बनाएं।
प्रार्थना के समय उस तिथि के जन्मदिन वाले बच्चे के नाम पढ़कर सुनाएं ।
प्रत्येक नाम के बाद सभी बच्चे “चिरंजीवी हो” का उद्घोष करें ।
अध्यापक शिक्षक और छात्र छात्राओं के मंगल जीवन के लिए शुभकामनाएं आशीर्वचन प्रदान करें । जिन विद्यार्थियों को जन्मदिवस अवकाश के दिन आए उन बच्चों को अवकाश के पूर्व शुभकामनाएं दी जा सकती हैं ।
बच्चों को उनके जन्मदिन पर एक अच्छाई ग्रहण करने की प्रेरणा दी जा सकती है । जैसे माता-पिता गुरुजनों की आज्ञा मानना, बड़ों का सम्मान करना, जीवो और पशुओं के प्रति दया भाव रखना, अच्छा व्यवहार करना, पेड़ पौधों की सुरक्षा करना, पर्यावरण की सुरक्षा करना, पॉलीथिन का उपयोग न करना, स्वच्छता रखना, सभी से समानता का व्यवहार करना, नियमित रूप से विद्यालय आना, विद्यालय में पूरे समय उपस्थित रहना, परिश्रम पूर्वक पढ़ाई करना, किसी कार्य को छोटा ना समझना आदि ।
ड्राइंग शीट पर “जन्मदिन पर लिए जाने वाले संकल्प या प्रेरनाएं , इन बातों को लिखें , जिससे उन्हें बार-बार दोहराना नया पड़े।
बच्चों की संख्या अधिक होने पर इसे प्रार्थना सभा के स्थान पर कक्षा में करवाया जा सकता है । जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ शिक्षकों, छात्र-छात्राओं द्वारा किए गए अच्छे कार्यों, उपलब्धियों, पुरस्कार, सम्मान आदि का उल्लेख करें । साथ ही बधाई शुभकामना तथा प्रशंसा भी करें.


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