वृक्षारोपण एक पेड़ माँ के नाम : Ek Ped Maa Ke Naam : A Green Mission

वृक्षारोपण एक पेड़ माँ के नाम : Ek Ped Maa Ke Naam : A Green Mission

वृक्षारोपण – एक पेड़ माँ के नाम”
Ek Ped Maa Ke Naam : A Green Mission (एक हरित मिशन)

Ek Ped Maa Ke Naam : A Green Mission: यह एक हास्य-प्रधान नाटक (funny play) है जो “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे सुंदर वृक्षारोपण अभियान को प्रोत्साहित करता है। इस नाटक में बच्चों और युवाओं के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि कैसे हम एक साधारण लेकिन सार्थक वृक्षारोपण कार्य अपनी माँ के नाम कर सकते हैं। नाटक में हँसी-मज़ाक के साथ यह दिखाया गया है कि कैसे लोग बहाने बनाते हैं वृक्षारोपण से बचने के लिए लेकिन जब बात आती है माँ की – तो हर कोई तैयार हो जाता है।

मुख्य संदेश:
अगर उपहार देना है सबसे खास, तो लगाओ एक पेड़ माँ के पास!” 🌳🌼

इस नाटक का उद्देश्य है पर्यावरण संरक्षण को एक भावनात्मक और मनोरंजक तरीके से जोड़कर समाज को जागरूक करना। इसे CCLE या किसी भी स्कूल कार्यक्रम में Green Mission Activity के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।


सदन / हाउस वार लघु नाटक क्र. 1

पात्र:

  • रिया: उत्साही छात्रा, पर्यावरण प्रेमी
  • अजय: रिया का दोस्त, कॉमेडी का पुजारी लेकिन शुरू में लापरवाह
  • शिक्षिका (मैडम): स्कूल की पर्यावरण क्लब की प्रभारी, थोड़ी सख्त लेकिन हास्यप्रिय
  • राहुल: गाँव का एक मजेदार बच्चा, जो पेड़ों के महत्व को समझता है
  • समूह: अन्य छात्र (हाउस प्रतियोगिता के लिए)

स्थान: स्कूल का प्रांगण, जहाँ हाउस-वार वृक्षारोपण प्रतियोगिता हो रही है। मंच पर पौधे, गमले और खेती के औज़ार बikhरे हुए हैं।

दृश्य 1: Preparation में हँसी-मजाक
(मंच पर रिया और अजय एक पौधे के पास खड़े हैं। अजय एक गमले को गलती से उल्टा पकड़े हुए है। पृष्ठभूमि में हाउस टीमें अपने बैनर सजा रही हैं, जिनमें मजेदार स्लोगन जैसे “पेड़ लगाओ, ऑक्सीजन बढ़ाओ!” लिखे हैं।)

रिया: (उत्साह से) अजय, आज हमारी ग्रीन हाउस को “Ek Ped Maa ke Naam” पहल के तहत सबसे ज्यादा पेड़ लगाकर जीतना है! यह प्रतियोगिता पर्यावरण के लिए है, और माँ के नाम पर पेड़ लगाना कितना खास है!

अजय: (हँसते हुए) अरे रिया, ये “Ek Ped Maa ke Naam” क्या है? क्या माँ के नाम का पेड़ लगाने से ऑक्सीजन डबल मिलेगा? (गमले को उल्टा पकड़कर) वैसे ये गमला ऐसे ही ठीक है ना?

रिया: (हँसते हुए) अजय, गमला उल्टा है! और हाँ, “Ek Ped Maa ke Naam” एक शानदार अभियान है, जिसके तहत हम अपनी माँ के सम्मान में पेड़ लगाते हैं। पेड़ हमें ऑक्सीजन, छाया और जीवन देते हैं जैसे माँ हमें प्यार और देखभाल करती है।

अजय: (मजाक में) तो क्या मैं अपने पेड़ का नाम “मम्मी का नीम” रख दूँ? (दर्शकों की ओर देखकर) वैसे नीम का पेड़ तो मच्छर भी भगाता है, है ना?

(दर्शक हँसते हैं। शिक्षिका मंच पर आती हैं, हाथ में एक छोटा पौधा लिए।)

शिक्षिका: (मुस्कुराते हुए) अजय, तुम्हारी कॉमेडी तो अच्छी है लेकिन अब पेड़ लगाने में भी कुछ कर दिखाओ! आज हमारी हाउस-वार प्रतियोगिता “Ek Ped Maa ke Naam” अभियान का हिस्सा है। ग्रीन, ब्लू, रेड और येलो हाउस सब मिलकर पर्यावरण को हरा-भरा बनाएँगे। लेकिन अजय, गमला सीधा करो पहले!

अजय: (गमले को सीधा करते हुए शर्मिंदगी से) ओह, मैडम ये तो मेरी “उल्टा-पुल्टा” तकनीक थी! (दर्शकों की ओर देखकर) इससे पेड़ उल्टा तो नहीं उगेगा ना?

(सभी हँसते हैं।)

दृश्य 2: Tree Plantation में कॉमेडी
(छात्र समूहों में पेड़ लगाने के लिए मिट्टी खोद रहे हैं। अजय गलती से मिट्टी अपने कपड़ों पर डाल लेता है। राहुल, एक गाँव का मजेदार बच्चा, उनके पास आता है।)

राहुल: (हँसते हुए) अरे भैया, आप पेड़ लगा रहे हैं या मिट्टी का फैशन शो कर रहे हैं? आपके कपड़े तो मिट्टी के रंग में रंग गए!

अजय: (हँसते हुए) अरे राहुल, ये मेरा नया “मिट्टी लुक” है! ट्रेंड में है! वैसे, तुम्हें पेड़ लगाने का क्या पता?

राहुल: (मजाक में) दीदी-भैया, हमारे गाँव में हम हर साल “Ek Ped Maa ke Naam” के लिए पेड़ लगाते हैं। मेरी माँ कहती हैं, एक पेड़ लगाओ, तो माँ की तरह वह तुम्हारी देखभाल करेगा। (गंभीर होकर) पेड़ ऑक्सीजन देते हैं, हवा साफ करते हैं और गर्मी कम करते हैं।

रिया: (प्रभावित होकर) वाह, राहुल! तुम इतनी छोटी उम्र में इतना समझते हो। हमें बताओ, पेड़ कैसे लगाएँ?

राहुल: (उत्साह से) आसान है! गड्ढा खोदो, थोड़ा खाद डालो, पौधे की जड़ें आराम से रखो, मिट्टी से ढक दो और पानी डालो। बस, आपका “मम्मी का पेड़” तैयार!

अजय: (हँसते हुए) “मम्मी का पेड़”? राहुल, तुम तो कॉमेडी किंग हो! लेकिन अगर मैं पानी डालना भूल गया, तो?

राहुल: (मजाक में) तो पेड़ आपसे नाराज़ हो जाएगा और कहेगा “अजय भैया, मुझे प्यास लगी है!” (दर्शकों की ओर) सही कहा ना?

(दर्शक हँसते हैं। रिया और अजय पौधा लगाते हैं, अजय गलती से पानी की जगह मिट्टी डालने की कोशिश करता है।)

रिया: (हँसते हुए) अजय, ये पानी का कैन है, मिट्टी का नहीं! “Ek Ped Maa ke Naam” के लिए पेड़ को प्यार से पानी दो!

दृश्य 3: Result और हँसी भरा संदेश
(सभी हाउस पौधे लगा चुके हैं। मंच पर रंग-बिरंगे गमले और बैनर सजे हैं। शिक्षिका परिणाम घोषित करने आती हैं।)

शिक्षिका: (प्रसन्नता से) आप सभी ने शानदार काम किया! ग्रीन हाउस ने सबसे ज्यादा पौधे लगाए, लेकिन सच कहूँ, आज कोई हारा नहीं। “Ek Ped Maa ke Naam” पहल के तहत हर पौधा हमारी माँ और धरती के लिए एक तोहफा है। अजय, तुम्हारा “मिट्टी लुक” तो हिट हो गया!

अजय: (मजाक में) मैडम, अगली बार मैं “पानी लुक” ट्राई करूँगा! लेकिन सचमुच, मैंने आज सीखा कि पेड़ लगाना मज़ेदार और ज़रूरी है। मैं अपने घर में भी एक पेड़ लगाऊँगा, माँ के नाम पर!

रिया: (उत्साह से) मैडम, “Ek Ped Maa ke Naam” ने मुझे प्रेरित किया है। मैं अपने दोस्तों और परिवार को भी पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करूँगी। पेड़ हमारी धरती की साँस हैं।

राहुल: (हँसते हुए) और हाँ, भैया, अपने पेड़ को पानी देना मत भूलना वरना वह “मम्मी” से शिकायत करेगा!

(दर्शक हँसते हैं।)

शिक्षिका: (सभी को संबोधित करते हुए) बच्चों, “Ek Ped Maa ke Naam” सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि हमारी माँ और धरती के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। हर पेड़ जो आपने लगाया, वह भविष्य के लिए एक कदम है। चलो इस जुलाई में हम सब मिलकर अपने स्कूल और शहर को हरा-भरा बनाएँ!

समूह: (एक साथ) हम पेड़ लगाएँगे, धरती बचाएँगे!

(सभी छात्र तालियाँ बजाते हैं। मंच पर पौधों के साथ “Ek Ped Maa ke Naam” का बैनर लहराता है और पृष्ठभूमि में हरे-भरे पेड़ों का दृश्य उभरता है।)

नाटक समाप्त


सदन / हाउस वार लघु नाटक क्र. 2

हास्य-प्रधान नाटक: “वृक्षारोपण – एक पेड़ माँ के नाम”
(Ek Ped Maa Ke Naam : A Green Mission)
समय: लगभग 10-12 मिनट
पात्र:

  1. मुनिया – समझदार लड़की
  2. बबलू – डरपोक लेकिन मज़ेदार लड़का
  3. पप्पू – बहाना एक्सपर्ट
  4. शिक्षक जी – संयोजक
  5. माँ – भावुक पात्र (छोटा संवाद)
  6. अन्य विद्यार्थी – भीड़, गाना, नारा आदि में भागीदार

दृश्य 1 – स्कूल का मैदान

(पृष्ठभूमि में एक बोर्ड लगा है: “वृक्षारोपण अभियान: Ek Ped Maa Ke Naam”)
(सभी छात्र पंक्ति में खड़े हैं, शिक्षक जी आते हैं।)

शिक्षक जी: बच्चो! आज हम एक विशेष अभियान की शुरुआत कर रहे हैं – “एक पेड़ माँ के नाम।” हर बच्चा एक पेड़ लगाएगा अपनी प्यारी माँ के नाम। है न एक प्यारा विचार?

सभी छात्र (उत्साहित): हाँ जी! बहुत प्यारा! 🌳🌼

शिक्षक जी: तो चलिए, पहले हम पप्पू से पूछते हैं कि वह कौन सा पौधा लगाएगा?

दृश्य 2 – पप्पू का बहाना

पप्पू (घबराते हुए): सर, पौधा तो मैं लगाता… लेकिन मेरी तबीयत थोड़ी “फोटोसिंथेसिस” टाइप से खराब है।

मुनिया (हँसते हुए): फोटोसिंथेसिस पौधों को होता है, इंसानों को नहीं पप्पू भैया!

शिक्षक जी: तुम्हें तो बहाने बनाने में पीएचडी मिलनी चाहिए।

दृश्य 3 – बबलू का डर

शिक्षक जी: और बबलू? तुम क्या कहोगे?

बबलू (काँपते हुए): सर, मुझे पौधों से एलर्जी है। एक बार तुलसी के पास गया था, तो मच्छर ने काट लिया।

मुनिया (हँसते हुए): वो मच्छर ने काटा था, तुलसी ने नहीं!

शिक्षक जी (मजाक करते हुए): तो अब बबलू जी को पौधे नहीं, पंखे लगाने चाहिए!

(सब हँसते हैं)

दृश्य 4 – मुनिया की समझदारी

मुनिया (गंभीर होकर): दोस्तों, ज़रा सोचो – अगर हम हर साल माँ के जन्मदिन पर एक पेड़ लगाएँ, तो कुछ ही वर्षों में हमारी धरती हरी-भरी हो जाएगी।
माँ हमें जीवन देती हैं, और पेड़ हमें प्राणवायु।
तो एक पेड़ माँ के नाम लगाना, माँ को सबसे सुंदर तोहफा देना है।

दृश्य 5 – माँ का प्रवेश (भावनात्मक मोड़)

(मंच पर माँ आती हैं – साड़ी में, मुस्कुराती हैं। मुनिया उनके पास जाकर एक छोटा पौधा देती है।)

मुनिया: माँ, ये पौधा मैंने आपके नाम लगाया है। यह हमेशा मेरी ममता की छाया देगा।

माँ (आँखें नम करते हुए): बेटी, तेरा यह तोहफा मुझे सोने के हार से भी प्यारा है।

दृश्य 6 – सबकी भागीदारी

(अब पप्पू और बबलू भी प्रेरित हो जाते हैं।)

पप्पू: मैं भी एक आम का पेड़ लगाऊँगा, माँ के लिए… और आम खुद खाऊँगा! 😄

बबलू: और मैं गुलमोहर लगाऊँगा, ताकि गर्मी में छाँव मिले और कोई मच्छर न काटे!

शिक्षक जी: अब तुम सबको समझ में आया – “हर पेड़, एक माँ की छाया!”

अंतिम दृश्य – नारा और गीत

सभी बच्चे नारा लगाते हैं:
“माँ के नाम पेड़ लगाएँ, धरती को हरा बनाएँ!”
“एक पेड़ माँ के नाम, यही है सच्चा सम्मान!”

(पृष्ठभूमि में हल्का गीत बजता है या सभी बच्चे मिलकर गाते हैं)

🎵
एक पेड़ माँ के नाम,
हर घर हो हरा-भरा।
माँ की ममता जैसा,
कोई और नहीं सदा।

🎵

अंत: (शिक्षक जी मंच के मध्य आकर कहते हैं)

शिक्षक जी: बच्चों, हँसी-मज़ाक के साथ हमने सीखा कि एक छोटा सा काम – एक पेड़ लगाना – कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।
चलो, आज से हर साल “एक पेड़ माँ के नाम” लगाना हमारी आदत बन जाए।

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