सबल भारत अंतर्गत जुलाई चतुर्थ शनिवार नृत्य संगीत प्रतियोगिता House wise Dance Music On Health In Fourth Saturday

House wise Dance Music On Health In Fourth Saturday

House wise Dance Music On Health In Fourth Saturday : सीसीएलई के अंतर्गत जुलाई माह की “सबल भारत” थीम के तहत चतुर्थ शनिवार को नृत्य और संगीत (लोककला) आधारित हाउसवार गतिविधि आयोजित की जाएगी। यह गतिविधि स्वास्थ्य उप-थीम पर केंद्रित है, जो शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय लोक नृत्य और संगीत की सांस्कृतिक समृद्धि का उपयोग करती है। कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई यह गतिविधि रचनात्मकता, सहयोग और स्वास्थ्य जागरूकता को प्रोत्साहित करती है। लोक नृत्य जैसे भांगड़ा, गरबा या लावणी और लोक संगीत जैसे भजन या क्षेत्रीय गीत शारीरिक गतिविधि, तनाव कम करने और सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा देते हैं। यह 15 अंकों की गतिविधि स्कूलों में स्वास्थ्य और सांस्कृतिक शिक्षा को एकीकृत करने का एक आकर्षक अवसर प्रदान करती है।

मध्य प्रदेश के लोक नृत्य: सांस्कृतिक विरासत का उत्सव 💃🕺

मध्य प्रदेश, भारत का हृदय, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, जिसमें इसके जीवंत लोक नृत्य शामिल हैं। ये नृत्य सिर्फ मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि ये समुदायों की कहानियों, परंपराओं और जीवन शैली को दर्शाते हैं। स्कूली स्तर पर इन लोक नृत्यों को सीसीएल (सतत व्यापक मूल्यांकन) गतिविधियों में शामिल करना छात्रों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और अपनी कलात्मक प्रतिभाओं को निखारने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य और उनकी विशेषताएँ

मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य प्रचलित हैं, जो भौगोलिक क्षेत्रों और जनजातियों के अनुसार भिन्न होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लोक नृत्य दिए गए हैं:

1. गणगौर (Gangaur)

  • क्षेत्र: मुख्य रूप से मालवा और निमाड़ क्षेत्र में प्रचलित।
  • विशेषता: यह नृत्य देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित गणगौर उत्सव के दौरान किया जाता है। महिलाएँ रंगीन पारंपरिक पोशाकें पहनकर सिर पर कलश रखकर नृत्य करती हैं। यह नृत्य समृद्धि और वैवाहिक सुख का प्रतीक है। इसमें धीमी और लयबद्ध चालें होती हैं, जो उत्सव के माहौल को दर्शाती हैं।

2. मटकी (Matki)

  • क्षेत्र: मालवा क्षेत्र का एक लोकप्रिय नृत्य।
  • विशेषता: यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एकल नृत्य है, जिसमें नर्तकी अपने सिर पर कई मटके रखकर संतुलन बनाती है। इसमें अक्सर “अदा” (विशेष मुद्रा) और “खड़ा नाच” (खड़े होकर नृत्य) शामिल होता है। यह नृत्य संतुलन और निपुणता का अद्भुत प्रदर्शन है।

3. भगोरिया (Bhagoria)

  • क्षेत्र: झाबुआ और अलीराजपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भील जनजाति द्वारा किया जाता है।
  • विशेषता: यह भगोरिया हाट (बाजार) उत्सव के दौरान किया जाने वाला एक सामूहिक नृत्य है। युवा लड़के और लड़कियाँ अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल और मांदल की थाप पर नृत्य करते हैं। यह नृत्य युवाओं के मिलन और उल्लास का प्रतीक है।

4. राई (Rai)

  • क्षेत्र: बुंदेलखंड क्षेत्र का राज्य नृत्य
  • विशेषता: यह नृत्य मुख्य रूप से शुभ अवसरों पर किया जाता है। इसमें एक नर्तकी, जिसे ‘बेड़नी’ कहा जाता है, ढोलक और नगाड़ों की तेज़ थाप पर प्रदर्शन करती है। यह नृत्य उत्साह और वीरता को दर्शाता है, जिसमें तीव्र और ऊर्जावान गतिविधियाँ होती हैं।

5. तेरहताली (Terah Tali)

  • क्षेत्र: कामड़ जनजाति द्वारा किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक नृत्य, जो मुख्य रूप से मालवा और निमाड़ क्षेत्रों में प्रचलित है।
  • विशेषता: इस नृत्य में महिलाएँ अपने शरीर पर 13 मंजीरे बांधकर बैठ कर नृत्य करती हैं, जबकि पुरुष कलाकार लोक गीत गाते हैं। यह अक्सर मंदिरों में या धार्मिक आयोजनों के दौरान किया जाता है, जिसमें भक्ति और एकाग्रता का प्रदर्शन होता है।

6. कर्मा (Karma)

  • क्षेत्र: गोंड और बैगा जैसी जनजातियों द्वारा किया जाने वाला एक प्रमुख आदिवासी नृत्य, मुख्य रूप से बघेलखंड और सतपुड़ा क्षेत्रों में प्रचलित।
  • विशेषता: यह खुशी और उर्वरता का प्रतीक है, जो अच्छी फसल और समृद्धि के लिए किया जाता है। पुरुष और महिलाएँ दोनों एक साथ नृत्य करते हैं, जिसमें गोलाकार घुमाव और लयबद्ध कदम होते हैं।

7. बधाई (Badhai)

  • क्षेत्र: बुंदेलखंड क्षेत्र में विवाह और बच्चे के जन्म जैसे शुभ अवसरों पर किया जाने वाला नृत्य।
  • विशेषता: यह नृत्य खुशी और उत्सव का माहौल बनाता है। इसमें पुरुष और महिलाएँ दोनों भाग लेते हैं, और यह अक्सर गाँवों में जुलूस के रूप में भी निकाला जाता है।

सीसीएल गतिविधि का आयोजन और मूल्यांकन: एक विस्तृत मार्गदर्शिका

मध्य प्रदेश के स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए इस लोक नृत्य गतिविधि को प्रभावी ढंग से आयोजित और मूल्यांकन करने के लिए यहाँ विस्तृत निर्देश दिए गए हैं:

आयोजन प्रक्रिया

  1. उद्देश्य निर्धारण: छात्रों को मध्य प्रदेश की समृद्ध लोक कला और संस्कृति से परिचित कराना, टीम वर्क को बढ़ावा देना, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना और प्रदर्शन कला कौशल का विकास करना।
  2. नियमों का निर्धारण:
    • प्रतियोगिता का स्वरूप: यह एक अंतर-हाउस प्रतियोगिता होगी। प्रत्येक हाउस अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करेगा।
    • प्रतिभागियों की संख्या: प्रत्येक हाउस से न्यूनतम 8 और अधिकतम 15 प्रतिभागी हो सकते हैं।
    • नृत्य का प्रकार: छात्र मध्य प्रदेश के किसी भी पारंपरिक लोक नृत्य (जैसे गणगौर, मटकी, भगोरिया, राई, तेरहताली, कर्मा, बधाई) का चुनाव कर सकते हैं।
    • अवधि: प्रत्येक प्रस्तुति की अधिकतम अवधि 5 से 7 मिनट होगी।
    • संगीत: संगीत रिकॉर्डेड हो सकता है। पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग करने वाली लाइव प्रस्तुतियों को अतिरिक्त अंक दिए जा सकते हैं, जो प्रामाणिकता बढ़ाते हैं।
    • पोशाक और प्रॉप्स: प्रतिभागी अपने चुने हुए लोक नृत्य के अनुसार पारंपरिक वेशभूषा और उपयुक्त प्रॉप्स (सामान) का उपयोग कर सकते हैं। इसकी प्रामाणिकता मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी।
    • कोरियोग्राफी: कोरियोग्राफी मौलिक होनी चाहिए और चुने हुए लोक नृत्य के सार को दर्शाती होनी चाहिए। नकल से बचना चाहिए।
  3. तैयारी का समय: छात्रों को अभ्यास और तैयारी के लिए पर्याप्त समय (जैसे 2-3 सप्ताह) दिया जाना चाहिए। इसकी घोषणा गतिविधि से काफी पहले की जानी चाहिए।
  4. संसाधन और सहायता:
    • स्कूल लोक नृत्य विशेषज्ञों या अनुभवी नृत्य शिक्षकों को मार्गदर्शक के रूप में आमंत्रित कर सकता है।
    • प्रतियोगिता से पहले छात्रों को मध्य प्रदेश के विभिन्न लोक नृत्यों के बारे में जानकारी देने के लिए एक छोटी कार्यशाला या प्रस्तुति आयोजित की जा सकती है। इससे छात्रों को नृत्य शैलियों की बेहतर समझ मिलेगी।
    • आवश्यक संगीत उपकरण और एक उपयुक्त मंच उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

मूल्यांकन प्रक्रिया (कुल 15 अंक)

प्रदर्शन का मूल्यांकन निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर किया जाएगा, जिससे निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता सुनिश्चित होगी:

  1. कोरियोग्राफी और प्रस्तुति (5 अंक):
    • नृत्य की मौलिकता और विविधता (2 अंक): क्या कोरियोग्राफी में नवीनता है और क्या यह चुने हुए लोक नृत्य की भावना के अनुरूप विभिन्न चालों और रूपों को दर्शाती है?
    • कलाकारों का समन्वय और समकालिकता (2 अंक): क्या सभी प्रतिभागी एक साथ और तालमेल में नृत्य कर रहे हैं?
    • भाव-भंगिमा और ऊर्जा (1 अंक): क्या नर्तक उत्साह और उचित भाव-भंगिमा के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं?
  2. पारंपरिकता और प्रामाणिकता (4 अंक):
    • चुने हुए लोक नृत्य के पारंपरिक रूप का पालन (2 अंक): नृत्य शैली अपने मूल स्वरूप के कितनी करीब है?
    • वेशभूषा और प्रॉप्स की प्रामाणिकता (2 अंक): क्या पोशाकें और प्रॉप्स चुने हुए लोक नृत्य और क्षेत्र की संस्कृति के अनुरूप हैं?
  3. ताल और लय (3 अंक):
    • संगीत के साथ तालमेल (2 अंक): क्या नर्तक संगीत की ताल और लय के साथ सटीक रूप से चल रहे हैं?
    • नृत्य में लयबद्धता (1 अंक): क्या पूरे प्रदर्शन में एक सहज और सुसंगत लय बनी हुई है?
  4. मंच उपस्थिति और आत्मविश्वास (2 अंक):
    • कलाकारों का मंच पर प्रदर्शन (1 अंक): नर्तकों की समग्र उपस्थिति और प्रदर्शन के दौरान उनकी मुद्रा।
    • आत्मविश्वास और दर्शकों के साथ जुड़ाव (1 अंक): क्या नर्तक आत्मविश्वास से भरे दिखते हैं और दर्शकों के साथ जुड़ने का प्रयास करते हैं?
  5. सामूहिक प्रयास (1 अंक):
    • टीम वर्क और सहयोग (1 अंक): यह मूल्यांकन करना कि हाउस के सदस्यों ने एक टीम के रूप में कितनी अच्छी तरह काम किया है।

न्यायाधीशों का चयन

  • स्कूल लोक नृत्य विशेषज्ञों, अनुभवी नृत्य शिक्षकों, या सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को न्यायाधीश के रूप में आमंत्रित कर सकता है ताकि निष्पक्ष और जानकार मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके।

यह गतिविधि छात्रों में रचनात्मकता, टीम भावना और सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देगी, साथ ही उन्हें मध्य प्रदेश की समृद्ध लोक कला को करीब से जानने का अवसर भी देगी। यह सुनिश्चित करेगा कि मूल्यांकन प्रक्रिया छात्रों के प्रयासों और प्रदर्शन के हर पहलू को कवर करे।


मध्य प्रदेश के स्कूलों में उपयोग किए जाने वाले लोक संगीत के प्रकार

सीसीएलई के अंतर्गत जुलाई माह की “सबल भारत” थीम के तहत चतुर्थ शनिवार को आयोजित होने वाली हाउसवार नृत्य/संगीत (लोककला) गतिविधि, जो 15 अंकों की है, स्वास्थ्य उप-थीम पर आधारित है। यह गतिविधि कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई है। मध्य प्रदेश, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, विभिन्न प्रकार के लोक संगीत प्रदान करता है, जो स्कूलों में इस गतिविधि के लिए उपयुक्त हैं। ये लोक संगीत न केवल सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहित करते हैं। निम्नलिखित मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक संगीत प्रकार हैं, जो स्कूलों में उपयोग किए जा सकते हैं, साथ ही उनके स्वास्थ्य लाभ और गतिविधि के लिए प्रासंगिकता का विवरण दिया गया है।

1. पंडवानी

विवरण: पंडवानी मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़, ओडिशा, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय एक लोक गायन शैली है, जो महाभारत की कहानियों, विशेष रूप से भीम की वीरता पर आधारित है। यह गायन और वादन (तम्बूरा, मंजीरा, हारमोनियम, ढोलक, तबला) का मिश्रण है। स्कूलों में, पंडवानी छात्रों को कहानी कहने और संगीतमय अभिव्यक्ति के माध्यम से सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ती है। यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, क्योंकि कहानियों में निहित नैतिकता और वीरता की भावना प्रेरणादायक होती है।
स्वास्थ्य लाभ: कहानी कहने और गायन से मानसिक तनाव कम होता है, और समूह प्रदर्शन से सामाजिक जुड़ाव और आत्मविश्वास बढ़ता है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र समूहों में वेदमती (स्थिर गायन) या कपालीक (नाटकीय अभिनय) शैली में पंडवानी प्रस्तुत कर सकते हैं, जो रचनात्मकता और शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करता है।
Keywords: Pandavani, storytelling, mental health, cultural heritage, Sabal Bharat.

2. अल्हा

विवरण: अल्हा मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लोकप्रिय एक वीर रस से भरा लोक गीत है, जो अल्हा और ऊदल जैसे योद्धाओं की वीरता की कहानियां सुनाता है। यह गीत ढोलक और नगाड़ा जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है। स्कूलों में, यह गीत छात्रों को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव से जोड़ता है और समूह गायन के माध्यम से सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है।
स्वास्थ्य लाभ: समूह गायन से तनाव कम होता है और सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। तालबद्ध संगीत हृदय गति को संतुलित करता है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र अल्हा गीतों को समूह में गाकर या नाटकीय प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जो शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
Keywords: Alha, heroism, group singing, mental well-being, Sabal Bharat.

3. सांझा

विवरण: सांझा मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की एक मधुर और भावनात्मक लोक संगीत शैली है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा गाई जाती है। यह गीत सुख और समृद्धि के लिए गाए जाते हैं और गायन के दौरान गाय के गोबर से बनी सांझा की मूर्तियों की पूजा की जाती है। स्कूलों में, यह गीत छात्राओं को सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ने और सामूहिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त है।
स्वास्थ्य लाभ: गायन और सामूहिक गतिविधियां तनाव कम करती हैं और सामाजिक एकता को बढ़ावा देती हैं।
स्कूलों में उपयोग: छात्राएं सांझा गीत गाकर और साधारण नृत्य के साथ प्रदर्शन कर सकती हैं, जो शारीरिक गतिविधि और रचनात्मकता को बढ़ाता है।
Keywords: Sanjha, women’s folk music, mental health, cultural tradition, Sabal Bharat.

4. निरगुनिया

विवरण: निरगुनिया मध्य प्रदेश के निमार और मालवा क्षेत्रों में लोकप्रिय एक दार्शनिक लोक संगीत है, जो निर्गुण भक्ति पर आधारित है। यह एकतारा और मृदंग जैसे साधारण वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है। यह गीत आध्यात्मिकता और आत्म-चिंतन को प्रोत्साहित करते हैं, जो किशोरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
स्वास्थ्य लाभ: ध्यान और आध्यात्मिक गायन से मानसिक शांति मिलती है, जो तनाव और चिंता को कम करता है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र निरगुनिया भजनों को गाकर या उनके दार्शनिक अर्थों पर चर्चा करके मानसिक स्वास्थ्य और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ा सकते हैं।
Keywords: Nirguniya, spirituality, mental peace, traditional music, Sabal Bharat.

5. फाग

विवरण: फाग मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और बघेलखंड क्षेत्रों में होली के त्योहार के दौरान गाया जाने वाला एक उत्साहपूर्ण लोक संगीत है। यह ढोलक, मंजीरा, और नगाड़ा जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है और अक्सर नृत्य के साथ जोड़ा जाता है। स्कूलों में, यह गीत उत्सव की भावना और शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करता है।
स्वास्थ्य लाभ: नृत्य और गायन से शारीरिक फिटनेस और मानसिक प्रसन्नता बढ़ती है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र समूहों में फाग गीत गाकर और होली-थीम आधारित नृत्य प्रस्तुत करके उत्साह और स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।
Keywords: Fag, Holi festival, dance, physical fitness, Sabal Bharat.

6. हार्डौल की मनौती

विवरण: हार्डौल की मनौती बुंदेलखंड क्षेत्र में गाया जाने वाला एक लोक गीत है, जो हार्डौल जैसे स्थानीय देवताओं की भक्ति और वीरता की कहानियों पर आधारित है। यह गीत समुदाय की एकता और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाता है। स्कूलों में, यह गीत छात्रों को इतिहास और भक्ति की भावना से जोड़ता है।
स्वास्थ्य लाभ: समूह गायन सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र हार्डौल की कहानियों को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं, जो सांस्कृतिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है।
Keywords: Hardaul ki Manauti, devotion, community bonding, mental health, Sabal Bharat.

7. कालगी तुर्रा

विवरण: कालगी तुर्रा मध्य प्रदेश के मालवा, निमार, मंडला, और बुंदेलखंड क्षेत्रों में लोकप्रिय एक प्रतिस्पर्धात्मक लोक संगीत शैली है, जिसमें दो समूह रात भर गीतों के माध्यम से एक-दूसरे को चुनौती देते हैं। यह चंग और ढफ जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है। स्कूलों में, यह गतिविधि छात्रों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
स्वास्थ्य लाभ: प्रतिस्पर्धात्मक गायन से मानसिक सतर्कता और सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र समूहों में कालगी तुर्रा शैली में गीत प्रस्तुत कर सकते हैं, जो रचनात्मकता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है।
Keywords: Kalgi Turra, competitive singing, creativity, social engagement, Sabal Bharat.

8. विदेसिया

विवरण: विदेसिया बघेलखंड क्षेत्र में गदरिया, तेली, और कोटवार समुदायों द्वारा गाया जाने वाला एक भावनात्मक लोक गीत है, जो प्रेम, वियोग, और पुनर्मिलन की थीम पर आधारित है। यह चुटकी, पैजना, और सारंगी जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है। स्कूलों में, यह गीत भावनात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने में मदद करता है।
स्वास्थ्य लाभ: भावनात्मक गायन से मानसिक तनाव कम होता है और आत्म-अभिव्यक्ति बढ़ती है।
स्कूलों में उपयोग: छात्र विदेसिया गीतों को गाकर या नाटकीय प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जो भावनात्मक और सांस्कृतिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
Keywords: Videsiya, emotional expression, love, cultural heritage, Sabal Bharat.

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश के ये लोक संगीत प्रकार न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं, बल्कि स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कूलों में इन गीतों को शामिल करने से छात्रों में शारीरिक गतिविधि, मानसिक शांति, और सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है, जो सबल भारत की स्वास्थ्य थीम के अनुरूप है। ये गतिविधियां रचनात्मकता, आत्मविश्वास, और सांस्कृतिक जागरूकता को प्रोत्साहित करती हैं, जो कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए आदर्श हैं।
Keywords: Madhya Pradesh folk music, Sabal Bharat, health, cultural diversity, school activity.

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