सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana) का सनातन हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मॉं सरस्वती की वंदना करने से है कि मुर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। कहा जाता है कि वरदराजाचार्य, कालिदास आदि मंद बुद्धि लोग भी सरस्वती उपासना के बाद ही उच्च कोटि के विद्वान बने थे। मॉं सरस्वती को हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक माना गया है। इनकी कृपा पाने के लिए संगीतज्ञ, छात्रों और यहां तक की गूढ़ विषयों में रुचि रखने वालों के द्वारा भी इनकी वंदना की जाती है। सरस्वती मॉं को शारदा, सतरुपा , वीणावादिनी, ज्ञानदायिनी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
मॉं सरस्वती का स्वरूप
ज्ञान की देवी माता सरस्वती का स्वरूप कुछ इस प्रकार है- माता श्वेत वस्त्रधारिणी हैं और उनके चार हाथ हैं, एक हाथ में वीणा है जिसका वह निरंतर वादन करती हैं और दूसरे हाथ में पुस्तक है । सरस्वती मॉं शुक्लवर्णा हैं और पद्मासन में विराजमान होती हैं। इनके हाथों में वीणा संगीत की और पुस्तक विचारणा को अभिव्यक्त करती हैं। वहीं मयूर वाहन कला और मधुर स्वर की अभिव्यक्ति करता है। हिंदू धर्म के मानने वालों के बीच सरस्वती को शिक्षा की देवी के रुप में जाना जाता है। वसंत पंचमी को मॉं सरस्वती का जन्म दिन समारोह शिक्षा संस्थानों में श्रद्धा-पूर्वक मनाया जाता है। किसी भी शैक्षिणिक कार्य को करने से पहले मॉं सरस्वती की पूजा करना अति शुभ माना जाता है।
सरस्वती वंदना
Saraswati Vandana
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
अर्थ- इस वंदना के द्वारा जातक देवी सरस्वती को प्रसन्न करने हेतु कहता है कि जो विद्या या ज्ञान की देवी भगवती सरस्वती कुंद के पुष्प, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो सफेद वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथों में वीणा-दण्ड सुशोभित है, जिनका आसन श्वेत कमलों पर है और जिनको ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे देवों द्वारा सदा पूजा जाता है, वो संपूर्ण जड़ता को दूर करने वाली माता सरस्वती हमारी रक्षा करें।
शुक्लां ब्रह्मविचार सारपरमामाद्यां
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां।
जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
अर्थ- शुक्लवर्ण वाली, चराचर विश्व में व्याप्त, आदि-शक्ति, परबह्म के विषय में किये गये विचार एवं चिंतन के सार रुप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सारे भयों से दूर करने वाली, अज्ञान रुपी अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला को धारण करने वाली, पद्मासन पर विराजित बुद्धिदात्री, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, माता सरस्वती की मैं वंदना करता/करती हूँ।
सरस्वती वंदना विधि (Saraswati Vandana Puja Vidhi)
मॉं शारदा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जलाएं।
वंदना शुरु करने से पहले नीचे दिये गये मंत्र से खुद को और आसन को शुद्ध करें-
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा |
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर : शुचि: ||
आसन यदि श्वेत रंग का हो तो बेहतर होता है।
इसके बाद अपने मन को एक जगह पर स्थिर करके मॉं सरस्वती की वंदना करें।
सरस्वती वंदना से मिलने वाले शुभ फल
सरस्वती वंदना के नियमित पाठ से लोगों को कई अच्छे फल मिलते हैं। इस वंदना को करने से आपके मन की चंचलता दूर होती है और आपका मन एक जगह पर स्थिर होता है। केवल इतना ही नहीं, इस वंदना के नियमित पाठ से आपको तनाव से भी मुक्ति मिलती है। जिन लोगों में कल्पना शक्ति की कमी है उनके लिये भी यह वंदना बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। अगर आप सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते हैं तो आपको इस वंदना का पाठ करने से अच्छे फल अवश्य मिलते हैं।
खासकर छात्रों को इस वंदना का पाठ सुबह शाम अवश्य करना चाहिए।
आशा करते हैं कि सरस्वती वंदना पर लिखा गया यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं।
बसंत पंचमी : Basant Panchami
पुराणों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। मान्यता है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था । इसलिए इस दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.
मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है । इस दिन मां सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला और ज्ञान का वरदान मांगा जाता है । मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर और पीले व्यंजन का भोग लगाकर मां सरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और ज्ञानदायिनी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है .
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन किया जाता है । इस दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । इस दिन सभी स्कूल-कॉलेज में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने और दान करने का काफी महत्व माना जाता है ।
मान्यता है कि इस दिन सरस्वती मां की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है. कई जगह बसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी के साथ विष्णु भगवान की भी आराधना होती है । इस दिन मां सरस्वती को खिचड़ी और पीले चावल का भोग चढ़ाया जाता है ।
विद्यालयों मे गाई जा सकने वाली सरस्वती वंदना :-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला (संस्कृत)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
सरलीकृत देवनागरी
या कुन्देन्दु तुषार हारधवला, या शुभ्र वस्त्रावृता,
या वीणावर दण्ड मण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभिर् देवै सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीम् अभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
साहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां, फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
माँ शारदे कहाँ तू…
माँ शारदे कहाँ तू… वीणा बजा रही हैं ॥
किस मंजु ज्ञान से तू , जग को लुभा रही हैं ॥
किस भाव में भवानी , तू मग्न हो रही है ॥
विनती नहीं हमारी , क्यों माँ तू सुन रही है ॥ ..x2
हम दीन बाल कब से , विनती सुना रहें हैं ॥
चरणों में तेरे माता , हम सर झुका रहे हैं ॥
हम सर झुका रहे हैं ,
मां शारदे कहाँ तू, वीणा…
अज्ञान तुम हमारा , माँ शीघ्र दूर कर दो ॥
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में , माँ शारदे तू भर दे ॥ ..x2
बालक सभी जगत के , सूत मात हैं तुम्हारे ॥
प्राणों से प्रिय है हम , तेरे पुत्र सब दुलारे ॥
तेरे पुत्र सब दुलारे ,
मां शारदे कहाँ तू, वीणा…
हमको दयामयी तू , ले गोद में पढ़ाओ ॥
अमृत जगत का हमको , माँ शारदे पिलाओ ॥ ..x2
मातेश्वरी तू सुन ले , सुंदर विनय हमारी ॥
करके दया तू हर ले , बाधा जगत की सारी ॥
बाधा जगत की सारी , मां शारदे कहाँ तू, वीणा…
माँ शारदे कहाँ तू , वीणा बजा रही हैं ॥
किस मंजु ज्ञान से तू , जग को लुभा रही हैं ॥
वीणा वादिनि विमल वाणी दे…
वीणा वादिनि विमल वाणी दे ,
वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन ॥
जय विद्या दायिनि वन्दन ,
अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी ॥
ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन ,
जय विद्या दायिनि वन्दन ॥
तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा ,
ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन ॥
जय विद्या दायिनि वन्दन ,
नत मस्तक हम माँग रहे, विद्या धन कल्याणी ॥
वरद हस्त रख हम पर जननी रहे न जग में क्रन्दन ,
जय विद्या दायिनि वन्दन ॥
हे शारदे माँ…
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे, हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे ॥
हम है अकेले, हम है अधूरे, तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ ॥1 ।।
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी , वेदों की भाषा, पुराणों की बानी ॥
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने, विद्या का हमको, अधिकार दे माँ ॥2।।
तू श्वेतवर्णी, कमल पे विराजे, हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे ॥
मन से हमारे मिटाके अँधेरे, हमको उजालों का संसार दे माँ ॥3।।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥
माँ सरस्वती वरदान दो
माँ सरस्वती वरदान दो , माँ सरस्वती वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो , यह विश्व ही परिवार हो ॥
सब के लिए सम प्यार हो , आदर्श, लक्ष्य महान हो ॥
माँ सरस्वती वरदान दो ..
मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो, मेरा महान चरित्र हो।।
विद्या विनय वरदान दो, माँ सरस्वती वरदान दो ,
माँ शारदे हँसासिनी , वागीश वीणा वादिनी ॥
मुझको अगम स्वर ज्ञान दो , माँ सरस्वती, वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो ,
उत्थान दो , उत्थान दो…
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