CCLE in Education is the cornerstone of progress and development in any society. In India, there is a pressing need to revolutionize the education system to meet the challenges of the 21st century. Children must be learned with Continuous and Comprehensive Learning with Regular Evaluation. This is where CCLE comes in. CCLE (Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation) is an innovative initiative that aims to transform the way education is imparted in India.
With a vision to provide quality education to every child, CCLE focuses on bridging the gap between traditional teaching methods and modern pedagogical approaches. By leveraging technology and incorporating interactive learning tools, CCLE aims to make education more engaging, personalized and effective.
What is Full form of CCLE ?
The full form of CCLE is “Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation”. In this term, Learning and Evaluation of Students are mentioned with Regular and continuous process and also comprehensive. With this New approach of Education, Students should learn continuously with Regular Evaluation means, term exam without any burden.
The Need for Change
The existing education system in India is often criticized for its rote-based learning and exam-centric approach. This outdated model fails to develop critical thinking, creativity, and problem-solving skills in students, leaving them ill-equipped to face the challenges of the real world.
Furthermore, the quality of education is highly variable across different regions and socio-economic backgrounds. Many children in rural areas do not have access to quality education due to lack of infrastructure and resources. CCLE recognizes these disparities and strives to provide equal opportunities for all students, regardless of their background.
The CCLE Advantage
CCLE brings a range of benefits to the education landscape in India. Firstly, it offers a flexible and adaptable curriculum that goes beyond textbooks and encourages students to explore real-world applications of their knowledge. This approach fosters curiosity, critical thinking, and problem-solving skills.
Secondly, CCLE leverages technology to create an interactive and immersive learning environment. By integrating multimedia resources, virtual simulations, and online assessments, CCLE makes learning an enjoyable and engaging experience.
Lastly, CCLE provides comprehensive teacher training programs to equip educators with the necessary skills and knowledge to deliver effective instruction. By empowering teachers, CCLE ensures that students receive the guidance and support they need to excel in their academic journey.
Conclusion
CCLE is at the forefront of the education revolution in India. By prioritizing student-centric learning, leveraging technology, and empowering teachers, CCLE is transforming the education system and creating a brighter future for Indian children. With initiatives like CCLE, India has the potential to become a global leader in education, nurturing the next generation of innovators, thinkers, and change-makers.
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Origin of CCLE: Reason to Introduce CCLE
पूरी संदर्शिका का अवलोकन करें
शिक्षा बच्चों के समूचे विकास का मूल आधार होती है, इसलिए प्राथमिक स्तर पर एक सतत और व्यापक शिक्षा और मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। हमारे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सतत और व्यापक अधिगम और मूल्यांकन की आवश्यकता को सीसीएलई की अवधारणा कहा जाता है। इसका मतलब है कि शिक्षा का लक्ष्य ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है, जिससे बच्चों में जनतांत्रिक मूल्यों और व्यवहारों के प्रति समर्पण, सामाजिक, आर्थिक, जाति और अन्य आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता और सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की क्षमता उत्पन्न हो।
आरटीई (राइट टू एजुकेशन) अधिनियम 2009 ने शिक्षा को ऐसी सतत गतिशील प्रक्रिया के रूप में प्रावधान किया है, जो बच्चों को गरिमामय जीवन प्रदान करती है और जहां बच्चे स्वयं ‘भय’ और ‘तनाव’ से मुक्त होकर ज्ञान का सृजन करते हैं।
सतत और व्यापक अधिगम और मूल्यांकन की आवश्यकता
इसका मतलब यह है कि एक बाल-केन्द्रित और बाल-मित्र शिक्षा होनी चाहिए जो असमानता को दूर करती है और साथ ही समान शैक्षिक अवसर प्रदान करती है। इसमें जाति, धर्म, लिंग या सांप्रदायिक भेदभाव के बिना सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच मिलनी चाहिए। साथ ही, शिक्षा को छात्रों में जिज्ञासा, रचनात्मकता, वस्तुनिष्ठता जैसे योग्यताओं और मूल्यों का विकास करते हुए समस्या समाधान और निर्णय लेने के कौशल को विकसित करना चाहिए।
इन संबंधित मुद्दों को मध्य रखते हुए, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा-2005 में शिक्षा के लक्ष्यों को विस्तारपूर्वक विचार किया गया है, जो प्रारंभिक स्तर पर शिक्षा प्रक्रिया में ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जुड़ाता है, रटे गए सिस्टम से छुटकारा दिलाता है, पाठ्यक्रम को बच्चों के समूचे विकास का माध्यम बनाता है, परीक्षा को लचीला बनाता है और कक्षा की गतिविधियों से जुड़ता है, साथ ही छात्रों में मानवीय मूल्यों के विकास को बढ़ावा देता है। इससे समझा जा सकता है कि सही अर्थ में बच्चों की शिक्षा तभी संभव होगी जब उनके पास यह अवसर होगा कि वे अपने अनुभवों से सीख सकें और ज्ञान का नवीनीकरण कर सकें।
सतत एवं व्यापक अधिगम एवं मूल्यांकन का महत्त्व
प्रारंभिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में वैज्ञानिक रवैया और तर्कसंगत सोच के विकास को बढ़ावा देना है, ताकि वे समुदाय की संस्कृति, परंपरा और अन्य समुदायों के सम्मान के साथ-साथ मानवता के कल्याण को भी विकसित कर सकें और वे गरीबी, लिंग, जाति और सांप्रदायिक भेद, शोषण और अन्यायपूर्ण व्यवहार से मुक्त हो सकें। शिक्षा का लक्ष्य व्यक्तिगत विशिष्टता का भी सम्मान प्रदान करना है। प्रत्येक बच्चे में उनकी क्षमताएँ, योग्यताएँ और कौशलों का विकास होता है, जिससे न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समुदाय का भी जीवन समृद्ध होता है।
बच्चे, स्कूल और मूल्यांकन
आमतौर पर ऐसा सोचा जाता है कि बच्चे ‘कोरी स्लेट’ होते हैं, जिन्हें उन जानकारियों और ज्ञान से भरना होता है जो शिक्षक के पास हैं। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता है। जब बच्चे पहली बार कक्षा में प्रवेश करते हैं, तो उनके पास बहुत से अनुभव होते हैं। प्रत्येक बच्चे में अपने अनुभवों से ज्ञान का स्वयं सृजन करने की सामर्थ्य होती है। अतः बच्चे पहले से जो भी ज्ञान और समझ है, उसके आधार पर ही आगे कुछ सिखाने की योजना बननी चाहिए। स्कूल के अनुभव और बच्चे के बाहरी दुनिया के अनुभव को कल्पनापूर्ण ढंग से जोड़कर हम विद्यालयी वातावरण के ‘अजनबीपन’ को कम कर सकते हैं। स्कूल के पास बच्चे को देने के लिए नए और रुचिकर अनुभव हो सकते हैं लेकिन ऐसा कदापि प्रतीत नहीं होना चाहिए कि वे बच्चे के अनुभवों की अनदेखी कर रहा है।
सीखना एक सतत् प्रक्रिया है इसलिए ‘सीखना’ सिर्फ विद्यालय में ही नहीं होता। कक्षा में सीखने की प्रक्रिया को घर में जो भी हो रहा है, उससे जोड़ा जाना जरूरी है। बच्चों की अभिरुचि की समझ – शिक्षण सामान्य बातचीत के माध्यम से होना चाहिए न कि एकतरफा भाषण की रीति से यह बातचीत का ही तरीका हो सकता है, जिससे बच्चे का आत्मविश्वास और उसकी स्व-चेतना बढ़ेगी तथा वह ज्यादा सरलता से अपने तथा शिक्षक के द्वारा दिए जा रहे अनुभवों के बीच रिश्ता बनाएगा। सीखना ‘समग्रता’ में ही संभव है न कि minimum learning level आधारित Curriculum and Assessment System में, जहाँ ज्ञान को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा या विषयों में बाँटा जाता है। इसलिए सीखने के लिए consolidated method ही बेहतर है। हर बच्चे की अपनी पसंद, नापसंद, रुचियां, परिवेश, कौशल, अनुभव और व्यवहार के तरीके होते हैं। इस प्रकार हर बच्चा अपने आप में अद्वितीय है। चूंकि प्रत्येक बच्चा अपने आप में एक अद्वितीय व्यक्ति तथा किसी भी स्थिति के प्रति अपने ही ढंग से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए बच्चों के लिए सीखने-सिखाने की योजना बनाते समय यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम इनमें पाई जाने वाली भिन्नताओं को पहचान सकें और इस सच्चाई को भी स्वीकार करें कि वे सीखने के दौरान भिन्न-भिन्न तरीके से प्रतिक्रिया करते और समझते हैं। इसलिए आकलन ऐसा हो जो यह सुनिश्चित कर सके कि यह विविधता अपने पूर्ण रूप में निखरे। आकलन केवल याद करने की क्षमता का नहीं होना चाहिए।
मूल्यांकन में इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि उसे जो पढ़ाया गया है, उसका अपने जीवनानुभव तथा दूसरी अन्य चीजों से संबंध जोड़ने की योग्यता, सीखी गई चीजों के बारे में नए और सटीक प्रश्न बनाने की क्षमता, अपने पाठों में सही और गलत के विचार से विचलन को देख पाने की क्षमता विकसित हो। मूल्यांकन के द्वारा विद्यालय उसमें इस प्रकार की क्षमताएं विकसित करने का प्रयास कर सकता है। तात्पर्य यह है कि सभी बच्चे दी जा रही सूचनाओं को अर्थ अपने पूर्व अनुभवों और अधिगम के आधार पर अपनी ही तरह से बना लेते हैं। यही प्रक्रिया बच्चे को अपनी समझ बनाने और निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित करती है। ज्ञान तक पहुंचने, उसे प्राप्त करने की हर बच्चे की यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। आकलन की समझ और पारम्परिक मूल्यांकन की प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता: वर्तमान समय में प्रदेश के विद्यालयों में पारम्परिक मूल्यांकन की जो प्रणाली लागू है, उसके अन्तर्गत वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षा के अतिरिक्त सत्र के मध्य में भी ली जाने वाली दो परीक्षाओं- कुल मिलाकर चार लिखित परीक्षाओं के माध्यम से मूल्यांकन का प्रावधान है। वर्तमान मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह से औपचारिक ताने-बाने में गुँथी हुई है। निश्चित अवधि के अंतराल पर मौखिक/लिखित परीक्षा के दिन तय किये जाते हैं।
आर.टी.ई.-2009 और एन.सी.एफ.-2005 में यह बार-बार कहा गया है कि बच्चे के अनुभव को महत्व मिलना चाहिए एवं उसकी गरिमा सुनिश्चित की जानी चाहिए, परन्तु यह तब तक पूर्णतया संभव नहीं है जब तक कि प्रचलित मूल्यांकन पद्धति में परिवर्तन न किया जाय। वर्तमान मूल्यांकन व्यवस्था में किसी समय विशेष पर लिखित परीक्षा की व्यवस्था है, जबकि छात्र का संवृद्धि एवं विकास सम्पूर्ण सत्र में विकसित होता है। इस तरह के मूल्यांकन से कुछ बच्चों को असुरक्षा, तनाव, चिंता और अपमान जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। सावधिक परीक्षाओं से यह तो पता चलता है कि बच्चे कितना जानते हैं, पर यह नहीं पता चलता कि जो नहीं जानते उनके न जानने के क्या कारण हैं। इस तरह का मूल्यांकन पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाई गई विषयवस्तु और रटंत प्रणाली द्वारा प्राप्त की गई जानकारी/ज्ञान का मूल्यांकन करने तक ही सीमित है। अधिकांशतः यह बच्चों में तुलना करने जैसे भाव रखता है और अवॉंछनीय प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है। वर्तमान व्यवस्था में केवल बच्चे की अकादमिक प्रगति का मूल्यांकन होता है, जबकि बच्चे के सर्वांगीण विकास में अकादमिक प्रगति के साथ-साथ उसकी अभिवृत्तियों, अभिरुचियों, जीवन-कौशलों, मूल्यों तथा मनोवृत्तियों में होने वाले परिवर्तनों का भी समान महत्व होता है।
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FAQs :
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What does CCLE stand for?
CCLE stands for Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation.
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How does CCLE differ from traditional education methods?
CCLE aims to bridge the gap between traditional teaching methods and modern pedagogical approaches by using technology and interactive learning tools to make education engaging, personalized, and effective.
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What issues does CCLE address in the Indian education system?
CCLE addresses the problems of rote-based learning, exam-centric approaches and the lack of access to quality education in rural areas. It aims to promote critical thinking, creativity, and equal opportunities for all students.
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What benefits does CCLE offer to students?
CCLE provides a flexible curriculum that encourages real-world application of knowledge, utilizes technology for interactive learning and offers comprehensive teacher training to support effective instruction.
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How does CCLE empower teachers?
CCLE offers comprehensive teacher training programs to equip educators with the necessary skills and knowledge, enabling them to provide effective guidance and support to students.
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What is CCLE’s role in transforming the education system in India?
CCLE is leading the education revolution in India by prioritizing student-centric learning, incorporating technology and empowering teachers, ultimately creating a brighter future for Indian children.
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How does CCLE envision the future of education in India?
CCLE envisions India becoming a global leader in education through initiatives like CCLE, fostering the development of innovators, thinkers and change-makers in the next generation.
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शिक्षा का महत्व क्या है?
शिक्षा बच्चों के समूचे विकास का मूल आधार होती है। यह उन्हें जनतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से संवेदनशील बनाती है।
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आरटीई अधिनियम 2009 क्या है?
आरटीई (राइट टू एजुकेशन) अधिनियम 2009 शिक्षा को सतत और गतिशील प्रक्रिया के रूप में प्रावधान करता है। इससे बच्चों को गरिमामय जीवन और ज्ञान की स्वतंत्रता मिलती है।
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सतत और व्यापक अधिगम क्यों जरूरी है?
शिक्षा को सभी छात्रों तक पहुंचानी चाहिए, जिससे जाति, धर्म, लिंग या सांप्रदायिक भेदभाव ना हो। इसके साथ ही, छात्रों के विकास में जिज्ञासा, रचनात्मकता और योग्यताओं का विकास होना चाहिए।
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राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा-2005 क्या है?
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा-2005 शिक्षा के लक्ष्यों को विस्तारपूर्वक विचार करता है। यह शिक्षा को स्कूल से बाहरी जीवन से जोड़कर ज्ञान को अपनाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है और छात्रों को सम्पूर्ण विकास का माध्यम बनाता है।
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बच्चों की शिक्षा के लिए क्या महत्वपूर्ण है?
बच्चों की शिक्षा का मतलब है कि उन्हें उनके अनुभवों से सीखने का अवसर मिलना चाहिए और ज्ञान का नवीनीकरण करने की क्षमता प्राप्त होनी चाहिए।
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What is CCLE in Education ?
CCLE is an evaluation system in education that is used to evaluate the performance of students in the field of education. This assessment system evaluates students’ skills, knowledge, and social development through various subjects and activities. The purpose of CCLE is to help understand and evaluate the overall development of students, including their performance in academics.
In this evaluation system, the performance of the students in different months is evaluated, such as essay writing, debate, quiz, art and musical performance and marks are given on the basis of their performance. Apart from this, regular attendance of children also helps in awarding marks. Through this system, the education system helps in understanding the social, economic, and cultural development of the students and promotes their empowerment in the field of education. -
शिक्षा में CCLE क्या है?
शिक्षा में CCLE (सी सी एल ई) एक मूल्यांकन प्रणाली है जो शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के प्रदर्शन को मूल्यांकित करने के लिए प्रयुक्त होती है। CCLE का मुख्य उद्देश्य छात्रों के समूचे विकास को समझने और मूल्यांकन करने में मदद करना है, जिसमें उनके शिक्षा के क्षेत्र में प्रदर्शन का भी मूल्यांकन शामिल है।
इस मूल्यांकन प्रणाली में विभिन्न महीनों में छात्रों का प्रदर्शन मूल्यांकित किया जाता है, जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, कला और संगीत का प्रदर्शन, और उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक दिए जाते हैं। इसके अलावा, बच्चों की नियमित उपस्थिति भी अंक देने में मदद करती है। इस प्रणाली के माध्यम से, शिक्षा प्रणाली छात्रों के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक विकास को समझने में मदद करती है और उनके शिक्षा के क्षेत्र में सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है। -
What is Full Form of CCLE ?
Full form of CCLE is “Continuous and Comprehensive Learning and Evaluation”.
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What is the full form of CCLE in school?
CCLE is the learning and an evaluation system in education that is used to evaluate the performance of students in the field of education. This assessment system evaluates students’ skills, knowledge and social development through various subjects and activities. The purpose of CCLE is to help understand and evaluate the overall development of students, including their performance in academics.