भारत का राष्ट्रगीत : The National Song of India

भारत का राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ है। इसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं। उन्होंने इसकी रचना साल 1882 में संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में किया था। यह स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसे भी भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के बराबर का दर्जा प्राप्त है। इसे पहली बार साल 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। राष्ट्रगीत की अवधि लगभग 52 सेकेंड है। राष्ट्रगीत कुछ इस प्रकार है ।

वंदे मातरम्, वंदे मातरम् !
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

भारत का राष्ट्रगीत

राष्ट्रगीत का हिन्दी अनुवाद

मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं। हे माता,
पानी से सींची गई, फलों से भरी हुई,
दक्षिण की वायु के साथ शांत,
कटाई की फसलों के साथ गहरा,
हे माता!
उसकी रातें चांदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
हे माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।

English Translation of National Song

I stand before you, mother,
Watered by the waters, filled with fruits,
Peaceful with the southern breeze,
Deep with the crops of the harvest,
Mother!
Its nights are illuminated by the radiance of the moon,
Its land is covered with beautiful flowering trees,
Sweetness of laughter, sweetness of speech,
Mother,
the giver of blessings, the giver of joy
.

राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ का महत्त्व

जब हम अपने जीवन में निराश होते हैं या हिम्मत हार जाते हैं, तब हम आमतौर पर अपनी पसंद का कोई गीत सुनते हैं। बहुत बार वह गीत ऐसा जादू करता है कि हमारे अंदर फिर से उत्साह जाग उठता है। ऐसा ही कुछ ब्रिटिश शासन के समय भारत के राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ ने किया। उस समय ‘वंदे मातरम्’ जैसे दो शब्द ही गुलाम भारत के लोगों में गुलामी के खिलाफ आक्रोश पैदा करने के लिए पर्याप्त थे। इन दो शब्दों ने ही देशवासियों में देशभक्ति की जीवनशक्ति को प्रवर्धित किया था।

भारत का राष्ट्रगीत वंदे मातरम् हिंदी में (National Song Of India Vande Mataram In Hindi)

“वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
शश्य श्यालालां मातरं
वन्दे मातरम्
सुब्रज्योत्स्ना
पुलकित यामिनीम्
पुल्ल कुसुमित
द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीं
सुमधुर भाषिनीम्
सुखदां वरदां मातरं
वन्दे मातरम्”

संपूर्ण वंदे मातरम् हिंदी में

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम्
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,
तुमि मर्म त्वं हि प्राणा:
शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्
वन्दे मातरम् ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि कमलां
अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां
भूषितां धरणीं भरणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।।

– बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

राष्ट्रगीत का अर्थ

जब कोई राष्ट्र किसी एक ऐसे गीत को चुनता है जिसमें उस राष्ट्र की अस्मिता का वर्णन किया गया हो और जिसे ख़ास अवसरों पर किसी ख़ास समूह द्वारा गाया जाता हो, तो उसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया जाता है। राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” का अर्थ है कि ‘हे मां हम सभी तुम्हें प्रणाम करते हैं, जिसने हम सभी को पोषित किया है, जिसकी धरा, साफ जल, सुंदर फलों से जुड़ा हुआ जिसके आंचल में मलयज पर्वत है। जहां से ठंडी और सुगंधित हवा यहां की धरती को महकाती है। जिसकी रक्षा हिमालय पर्वत करता है। हे मातृभूमि! तुम्हें हमारा प्रणाम है। जिसकी धरती पर चंद्रमा की शीतल छाया, सफेद रोशनी पड़ती है, जिसके कारण फूल और कलियां सुंदरता से खिल उठती हैं। जहां सभी लोग मीठे वचन बोलते हैं, जहां सुख का आशीष मिलता है। हे मातृभूमि! तुम्हें हम सभी वंदन करते हैं।’

राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का इतिहास

  • राष्ट्रगीत किसने लिखा- भारत का राष्ट्र गीत वंदे मातरम् की रचना बंगाली के महान साहित्यकार श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में भी वंदे मातरम् का वर्णन मिलता है। उन्होंने वंदे मातरम् की रचना बंगाली और संस्कृत भाषा में की थी, जिसके बाद महर्षि अरविंद घोष ने इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया था ।
  • राष्ट्रगीत कब लिखा गया- ऐसा माना जाता है कि बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने सन् 1876 में राष्ट्र गीत की रचना की थी, जिसका शीर्षक “वंदेमातरम” था। सन् 1905 में कांग्रेस की एक बैठक में इस गीत को पहली बार गाया गया था। कुछ ही समय में यह गीत लोकप्रिय हो गया और देश की आज़ादी के आंदोलनों में ‘वंदे मातरम्’ एक राष्ट्रीय नारा बन गया। यह गीत आज़ादी की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा स्रोत बन गया था। राष्ट्रगीत वंदे मातरम् ने स्वाधीनता संग्राम में लोगों में जोश एवं उत्साह भरने की भूमिका निभाई।
  • वंदे मातरम् राष्ट्रगीत कब घोषित हुआ- स्वतंत्रता मिलने के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत घोषित कर दिया था । इस गीत को गाने में कुल 1 मिनट 5 सेकेंड का समय लगता है। सन् 2002 में बीबीसी के किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार वंदे मातरम् दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय गीत है।

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9. सूचनाएं प्रधानाध्यापक / प्राचार्य द्वारा

10. योग / ध्यान

11. राष्ट्रगान सामूहिक

12. जयघोष विद्यालय समय समाप्त होने पर

FAQs

People also ask

प्रश्न- राष्ट्रगीत सबसे पहले कब गाया गया था?
उत्तरः सन 1905 के कांग्रेस के एक अधिवेशन में।

प्रश्न- राष्ट्रगीत किसने लिखा था?
उत्तरः श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने।

प्रश्न- वंदे मातरम का अर्थ क्या है?
उत्तरः माता की वंदना करना।

प्रश्न- वंदे मातरम राष्ट्रगीत क्यों है?
उत्तरः देश की आज़ादी के आंदोलनों में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बन गया था।

प्रश्न- राष्ट्रगीत के प्रथम गायक कौन थे?
उत्तरः संन्यासी भवानन्द।

प्रश्न- राष्ट्रगीत सर्वप्रथम कहाँ गाया गया था?
उत्तरः वाराणसी में।

प्रश्न- राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में क्या अंतर है?
उत्तरः राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत दोनों ही देश की धरोहर हैं। राष्ट्रगान को देश के राष्ट्रीय पर्व या किसी खास अवसर पर गाना जरूरी होता है जबकि राष्ट्रगीत के साथ ऐसा नहीं है।

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